Friday 21 June 2013

ख्वाबों की दुनिया कितनी सतरंगी होती है ,आँखों के कैनवास पर इन्द्रधनुषी रंग कभी धुंधले ही नहीं होते---वक़्त कभी थमता नहीं गुजरते जाता है ,कभी कुछ ऐसा होता है जो सब याद दिला देता है--एक उपस्थिति ,मह्सुसना ..ख्वाबों की फ़ितरत होती है जो किसी अनचीन्हे को आपके अनजाने में आपके समीप लाती है ,अपना बनाती है और कब वो सच्चाई में तब्दील होते जाती है,लाख सर पटकने पर भी पता नहीं चलता---सच्चाई यादों में ठलती है और विगत यादें अचेतन पर कब्ज़ा करते जाती है,ये कैसी साजिश है जो हकीकत लगती है,बेकरारी बढाती है ...वो अनजान ख्वाबों की तहरीर सशरीर रूबरू होती है पर कुछ अनचाहें लम्हें दहला कर खामोश कर जातें हैं ...........
रात के ख्वाब सुनाएँ किसको ,रात के ख्वाब सुहाने थें ,,
धुंधले-धुंधलें चेहरे थें ....पर जाने-पहचाने थें ....................

1 comment:

  1. ख्वाब को ख्वाबों मे ही महफिल सजाने दो सखी.जमीनी सच्चाई के कांटे स्वप्निल बुलबुलों को हवा कर देगी.

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