हवा बहती है,
कितने आयामों में,कितने रूपों में,
कभी धीरे से हवा छूती है,
सिहराती है,गुदगुदा सी जाती है,
वर्षा की बूँदों के साथ,
मुलायम,भींगी सी,
ठण्डी,सुकून देती,
हवा कभी आंधी बन धूल उड़ाती,
कभी प्रबल बन विंध्वस कर जाती,
जंगल से जब उठती जोर-शोर से,
प्रचंड बन दौड़ती हवा,
चर्र -चर्र करते झोंके खाते,
टूटते पेड़-टहनियाँ,
मिट्टी खसकाती,हाहाकार करती हवा,
दौड़ती,मेरे आँगन के मुंडेर से टकराती,
सर उठाके देखती,झांकती,
फिर मुलायम पड़ जाती,
मजबूत प्रहार से या कोमल वातावरण से,
धीमे से पसरती,सहलाती,
आँगन से गुजरती मुझे भरमा जाती।