Tuesday 27 January 2015

कविता--हवा बहती है

हवा बहती है,
कितने आयामों में,कितने रूपों में,
कभी धीरे से हवा छूती है,
सिहराती है,गुदगुदा सी जाती है,
वर्षा की बूँदों के साथ,
मुलायम,भींगी सी,
ठण्डी,सुकून देती,
हवा कभी आंधी बन धूल उड़ाती,
कभी प्रबल बन विंध्वस कर जाती,
जंगल से जब उठती जोर-शोर से,
प्रचंड बन दौड़ती हवा,
चर्र -चर्र करते झोंके खाते,
टूटते पेड़-टहनियाँ,
मिट्टी खसकाती,हाहाकार करती हवा,
दौड़ती,मेरे आँगन के मुंडेर से टकराती,
सर उठाके देखती,झांकती,
फिर मुलायम पड़ जाती,
मजबूत प्रहार से या कोमल वातावरण से,
धीमे से पसरती,सहलाती,
आँगन से गुजरती मुझे भरमा जाती। 

Monday 12 January 2015

कविता-- हद में डूबा प्यार

मैं खामोश अंग बनी  बैठी  कायनात की,
ये जंगल,झील,हरियाली,सुरमयता,
तुम कब गए थे उसपार,
मैं सोचते रहती हूँ,
क्या तुम्हे याद है वो तिथि,
तो क्यूँ न फिर आ रहे,
हर सुबह आस जगाती,
दिन इन्तजार में जाती,
शाम अवसाद लेके आती,
रात आँसुओं में भिंगोती,
झील के इसपार हद है हमारी,
तुम्हारी हद ,कहाँ शुरू कहाँ खत्म,
उसपार है सबकुछ,
तुम जो हो ,
इसपार मेरा प्यार,मेरी तन्हाई,
और हद में समोई मैं।  

Thursday 1 January 2015

कविता--तुम्हारी याद

तेरी हर यादों को,
बायें हाथ की,
मुठ्ठी में बांधे हूँ,
फिर तेरी याद मुझसे,
क्यूँ जूझ रही है,
सारी उंगलियां तनतना रही है,
दीपावली आनेवाली है न,
हर उत्सव को बहाना बना,
तुम क्यूँ याद आने की,
कोशिश करते रहते हो,
दीये की झिलमिलाती लौ में,
तुम जब मुस्कुराते हो,
कभी सोचा .......
मैं कितनी मायूस हो जाती हूँ,
बिखरती-बिसूरती,तुम्हारी यादों मे,
मुठ्ठी कसमसाती है,
क्यूँ भला आज़ाद करूँ ?
तुम्हारी यादों को,
जो एक पल में ही,
मेरे सारे वजूद को,
आँसुओं में भिंगो जाता है।